सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का सबसे सशक्त माध्यम है रंगमंच- आर. पी. निरंजन

सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का सबसे सशक्त माध्यम है रंगमंच- आर. पी. निरंजन

Written by Prem Prakash Agarwal 2025-06-26 News
उरई - जालौन। ‘‘सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का सबसे सशक्त माध्यम रंगमंच है। रंगमंच ही एकमात्र ऐसी विधा है, जिसमें शरीर के प्रत्येक अंग का प्रयोग कर कलाकार अपनी भावों की अभिव्यक्ति करता है।’’ उपरोक्त विचार स्व. टी. डी. वैद स्मृति रंगमंच स्थल (सद्भाव मण्डपम्) भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) कोंच की 25वीं ग्रीष्मकालीन नाट्य कार्यशाला के प्रस्तुतिकरण एवं सम्मान समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य प्रतिनिधि आर. पी. निरंजन ने व्यक्त किए। उन्होनें कहा कि धार्मिक कुरीतियों, अन्धविश्वास, सामाजिक कुप्रथाओं के विरुद्ध जनजागरुकता लाने में इप्टा रंगकर्मी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं, प्रत्येक युवा को इप्टा से जुडकर समाजसेवा करनी चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व राज्य मंत्री हरिओम उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों में निराशा व अवसाद को पैदा कर रही है, जिसको दूर करने के लिए शिक्षा में रंगकर्म को शामिल किया जाना चाहिए। वहीं बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य शम्भूदयाल ने कहा कि संस्कार और संस्कृति से जुड़ाव का माध्यम इप्टा है। इप्टा जैसे जन संगठन ही विद्यार्थियों के जीवन में रंग भरने का काम कर सकते हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कोंच नगर पालिका परिषद अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने रंगकर्मियों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए नगर में लम्बे समय से चली आ रही आडिटोरियम निर्माण की मांग को पूरा करने की घोषणा की, जिसका समस्त रंगकर्मियों व दर्शकों द्वारा तालियों की गडगडाहट से स्वागत किया गया। फिल्म व टी0 वी0 अभिनेता आरिफ शहडोली ने कहा कि सिनेमा में जाने की पहली सीढी थियेटर है। थियेटर जहां सामाजिक परिवर्तन के लिए लोगों को प्रेरित करता है, वहीं सिनेमा मनोरंजन के साथ-साथ लोगों को विचारवान भी बनाता है। अतिथियों का स्वागत करते हुए इप्टा कोंच के अध्यक्ष अनिल वैद ने वर्तमान समय में रंगकर्म की भूमिका को रेखांकित करते हुए इप्टा कोंच की गतिविधियों व कार्यशाला के विषय में विस्तृत जानकारी दी, वहीं इप्टा कोंच के संस्थापक अध्यक्ष डा मुहम्मद नईम बाबी ने बंगाल के अकाल के बाद देश में उपजी स्थितियों के परिणामस्वरुप 25 मई 1943 को इप्टा गठन के इतिहास एवं कोंच इप्टा के 25 वर्षों के कार्यक्रमों के विषय में अवगत कराया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा इप्टा कोंच के संरक्षक व मथुराप्रसाद महाविद्यालय कोंच के संस्थापक प्राचार्य काम. टी. डी. वैद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। अतिथियों का स्वागत अनिल वैद, डा नईम, साहना खान, कोमल सिंह, अंकुल राठौर, यूनुस मंसूरी, अमन खान, कैफ मंसूरी, योगवेन्द्र कुशवाहा आदि द्वारा बैच लगाकर किया गया। नाटकों, गीतों व लोक नृत्यों की हुई सशक्त प्रस्तुतियां इप्टा की 25वीं ग्रीष्मकालीन नाट्य कार्यशाला की प्रथम प्रस्तुति के रुप में कार्यशाला के समस्त प्रतिभागियों द्वारा इप्टा गीत ‘‘बजा नगाडा शान्ति का, शान्ति का, शान्ति का’’ को प्रस्तुत किया। साहना खान, कोमल सिंह, दीप्ति द्विवेदी द्वारा स्वागत गीत ‘‘सुनी जो उनके आने की आहट, गरीबखाना सजाया हमने’’ से अतिथियों का स्वागत किया व काम. टी. डी. वैद की स्मृतियों को समर्पित श्रद्धाजंलि गीत ‘‘ प्रस्तुति दी। रंगर्मियो अवन्तिका, अनुभा, उन्नति, सूफिया, दीप्ति, पलक, मृगमयी, सौम्या, गौरांगी, नैना, अंशी, नव्या ने बुन्देली लोक संगीत ‘‘दादरा’’ ननद बाई पलना लेके आई एवं काहू बिगडी ने बिगाडो पिया तुमको की प्रस्तुति दी, वहीं अंशिका, मान्या, राधिका, मृगमयी झां, शिवन्या पटेल, सौम्या झां, प्रतिज्ञा राठौर ने राजस्थानी लोकनृत्य- लुक छुप जाओ जी एवं बुन्देली राई ‘‘आज दिन सोने को महाराज’’ प्रस्तुत किया। नाट्क ‘गडढा’ की सशक्त प्रस्तुति के माध्यम से रंगकर्मियों युनूस मंसूरी, अवन्तिका सोनी, अनुभा पटेल, उन्नति सोनी, सूफिया, दीप्ति द्विवेदी, पलक, मृगमयी झां, सौम्या झां, गौरांगी, नैना, अंशी सोनी, नव्या झां, राधिका, प्रतिज्ञा राठौर, अंशी सोनी, मान्या आदि ने वर्तमान समय में सामाजिक मूल्यों में आए क्षरण एवं संकट में पडे व्यक्ति की मद्द न करने के कारण उसकी मृत्यु का सजीव वर्णन किया। गडढे में पडे व्यक्ति की भूमिका रंगकर्मी यूनुस मंसूरी ने अपनी सशक्त प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों को बार-बार तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। रंगकर्मियों अवन्तिका, नैना, दीप्ति, गौरांगी, मृगमयी, अंशी, नव्या आदि ने राजस्थानी लोकनृत्य घूमर की प्रस्तुति देकर दर्शकों की वाहवाही लूटी। राजेश राठौर उर्फ अंकुल द्वारा किसान के कर्ज के मकडजाल में फंसे होने के कारण उस पर हो रहे अत्याचार को एकल अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया। वहीं नाटक ‘निर्भया’ में रंगकर्मियों अवन्तिका, अनुभा, उन्नति, सूफिया, दीप्ति, गौरांगी, अंशी, नव्या झां, युनूस मंसूरी, पलक ने बच्चियों के साथ हो रहे बलात्कार, छेडछाड एवं उत्पीडन की शानदार प्रस्तुति देते हुए दर्शकों की आंखों को नम कर दिया। ‘‘हम होगें कामयाब एक दिन’’ एवं ‘‘आजादी ही आजादी’’ की सामूहिक प्रस्तुतियों के माध्यम से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन इप्टा कोंच के संस्थापक अध्यक्ष डा मुहम्मद नईम बाबी ने व आभार महासचिव साहना खान द्वारा व्यक्त किया गया। कार्यशाला का निर्देशन साहना खान, कोमल सिंह, अंकुल राठौर, कोमल सिंह व पारसमणि अग्रवाल द्वारा किया गया विभिन्न प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित इप्टा कोंच द्वारा प्रतिवर्ष इप्टा के पदाधिकारियों एवं रंगकर्मियों की स्मृति में दिए जाने वाले सम्मानों को भी अतिथियों द्वारा दिया गया, जिसमें काम टी. डी. वैद स्मृति जनसंस्कृति सम्मान से फिल्म एवं टी0 वी0 अभिनेता आरिफ शहडोली जी को, प्रो0 जीतेन्द्र रघुवंशी स्मृति नाट्य लेखन सम्मान से प्रभात तिवारी को, श्री जुगलकिशोर स्मृति नाट्य निर्देशक सम्मान से स्नेहा कुमारी को, डा वीणा श्रीवास्तव स्मृति संगीत सम्मान से श्रीमती विनीता सिंह को, श्रीमती शान्ति देवी जैन स्मृति समाजसेवी सम्मान से श्री कुलदीप सिंह बौद्ध को, श्री टी. डी. वैद स्मृति समाजसेवी सम्मान से डॉ आर. बी. जैन व अंकुर यादव को, कु0 मिताली दुबे स्मृति रंगकर्मी सम्मान से दीप्ति द्विवेदी को, जीतआनन्द ‘‘जीत’’ कुशवाहा स्मृति रंगकर्मी सम्मान से यूनुस मंसूरी को, विनोद चंसौलिया स्मृति रंगकर्मी से सम्मान साहना खान को, विशाल अग्रवाल ‘विक्की’ स्मृति रंगकर्मी सम्मान से राजेश राठौर अंकुल को, श्रीमती आरजू झां स्मृति गायन सम्मान से कोमल सिंह को सम्मानित किया गया। वहीं काम. टी. डी. वैद स्मृति रंगकर्मी सम्मान दीप्ति द्विवेदी, नव्या झां, राधिका पचौरी, अंशी सोनी, अंशिका खेमरिया, नैना, अवन्तिका सोनी, गौरांगी व्यास, मृगमयी झां, सौम्या झां, शिवन्या पटेल, मान्या खेमरिया, आराध्या (अन्वी) वैद, को सम्मानपत्र एवं स्मृति चिन्ह के माध्यम से सम्मानित किया गया। कार्यशाला के प्रतिभागी समस्त रंगकर्मियों, निर्देशकों एवं सहयोगियों को भी प्रशस्ति पत्र एवं स्मृतिचिन्ह के माध्यम से सम्मानित किया गया। शैक्षिक-सांस्कृतिक-सामाजिक कार्यों के प्रोत्साहन हेतु नगर के पत्रकारों को भी स्मृतिचिन्ह के माध्यम से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिकों में शाह आसिफ अली, किशुन शर्मा, मुनब्बर शाह, सुनील श्रीवास्तव, प्रतिपाल सिंह गुर्जर बट्टू, वीरेन्द्र श्रंगीऋषि, पी0 डी0 रिछारिया, शान्तनु यादव, अनिल पटैरिया, पवन खिलाडी, साकेत मिश्रा, पिंकेश शुक्ला, भास्कर गुप्ता, हरिश्चन्द्र तिवारी, राघवेन्द्र तिवारी, रामजी भदैारिया, गजेन्द्र सिंह राजावत, सुरेन्द्र यादव, अनुज कुमार, संतोष सोनी, संजय सोनी, अली जावेद, तरुण निरंजन, नवीन कुशवाहा, विवेक द्विवेदी, गौरव तिवारी, राजेन्द्र द्विवेदी, सन्तोष तिवारी मेडिकल, नन्दराम स्वर्णकार, ओमकार पाठक, बृजेन्द्र झां, गौरीशंकर झां, कल्लू टाप, आदित्य वैद, रंजन गोस्वामी, सूर्यदीप सोनी, जीशान मंसूरी, अमन खान, कैफ मंसूरी, दानिश अहमद, चन्द्रशेखर सोनी, अनिल कुमार खेमरिया, प्रियंका निरंजन, इकराम खान, तययबा, राज शर्मा, मुहम्मद अहद (ताशु) आदि सैंकडों दर्शकों सहित उरई इप्टा के राज पप्पन, अमजद आलम, डा धर्मेन्द्र कुमार, देव सेंगर आदि उपस्थित रहे।